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चार जून की रात कांग्रेस ने अपने मुख पर कालिख पुता एक ऐसा जूता स्वयं ही मार लिया है जिसकी छाप लम्बे समय तक उसके मुख पर रहेगी .ये जूता वैसा ही है जैसा आपातकाल के समय और फिर सिख दंगो के समय कांग्रेस ने अपने मुख पर मारा था . उसके बाद भी उसका जूता प्रेम समाप्त नहीं हुआ .. बोफोर्स दलाली खाकर ,क्वात्रोची को फिर एंडरसन को बचाकर भी उसने अपने मुख पर जुते मारे ..फिर कामनवेल्थ , 2G और फिर रामलीला मैदान में निहत्थे सत्याग्रहियों को कुचल कर .. आधी रात को महिलाओं को उठाकर कर अपमानित करके उन्हें घसीट घसीट कर जिस तरह मारा , और जो रावण लीला मचाने की छुट पुलिस को दी उसके बाद मुझे नहीं लगता किसी और को जूता दिखने की जरुरत है ..दिग्विजय सिंह ,कपिल सिब्बल ,बंसल ,चिदंबरम , सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह ने खुद ही जूता उठाया और सरकार के मुह पर मार दिया है …
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ये समय है की अन्ना हजारे बाबा रामदेव ,गोविन्दाचार्य ,अरविन्द केजरीवाल और उस हर व्यक्ति के साथ देश की सज्जन शक्ति लगे जो परिवर्तन चाहती है क्योकि बदलाव के लिए आधार बन रहा है .अब ये हमारे ऊपर है की इन परिस्थितियों में कैसे अपनी पूरी शक्ति लक्ष्य को पाने में लगा दे . आम आदमी जो कभी बात नहीं करता था वो मुखर होकर विरोध कर रहा है जो केवल आपसी चर्चा करके चुप हो जाने वाला वर्ग था वो सड़क चौराहे पर धरने में शामिल हो रहा है … इसे हम क्या कहे?
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अरुंधती राय , गिलानी जैसे राष्ट्रद्रोहियो को दिल्ली सरकार बैठकर नाश्ता कराती रही . अफजल की फ़ासी पर नपुंसक सरकार के दोगले मंत्री नेता राष्ट्र में विद्रोह के डर का हवाला देते रहे.. और यकीं मानिए अगर मीडिया ने और न्यायपालिका ने सक्रियता नहीं दिखाई होती तो आज भी कलमाड़ी और राजा जैसे निम्न कोटि के कीड़े किसी आलीशान महल में आराम कर रहे होते . रामदेव अन्ना हजारे और सत्याग्रह करने वालो के लिए दिल्ली के रास्ते बंद कर दिए गए . भूखे ,प्यासे निहत्थे सत्याग्रही ,महिलाओं बच्चो से सरकार इतना डर गई मानो वहा गृह युद्ध हो रहा हो.. जब भी चार जून का दृश्य टेलीविजन पर देखता हु तो मेरा मन सिहर उठता है .
वे भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं खड़े होंगे क्योकि इस तरह कांग्रेस की अपनी जड़े खुद जाएँगी .. आजादी के बाद उसका सारा खाद पानी इसी भ्रष्टाचार से ही आया है .
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रामलीला मैदान में जो हुआ वह पुरे राष्ट्र के लिए एक आवाहन है की भारत को अगर जीना है तो खुद उठना होगा ,खुद चलना होगा बैसाखियों को छोड़ना ही होगा ..जिस राष्ट्र ने सत्याग्रह कर के अंग्रेजो को नंगा कर के भगा दिया वह ऐसे दमन से नहीं डर सकता . इस राष्ट्र की सज्जन शक्ति जब एक साथ उठ खड़ी होगी . भ्रष्टाचारी स्वयं निर्वस्त्र हो जायेंगे …
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चरित्रहीन व्यक्ति भयभीत रहता है और अपना परिचय स्वयं दे देता है अपने व्यवहार से .. मेरा अनुरोध है की भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले हर व्यक्ति के समर्थन में यथाशक्ति सहभागी बने और कांग्रेस की कांफ्रेस में कृपया नंगे पैर जाये .. उन्हें जूते दिखने की जरुरत नहीं . वे स्वयं ही ये काम कर लेंगे …….
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