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लोकतंत्र जल रहा है,कहा है सम्राज्ञी,देश के युवराज और वह नीरो?

सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
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औरंगजेब के शाशनकाल में एक घटना हुई .जब जजिया उसने लगा दिया तो राजधानी की जनता उससे निजात पाने के लिए बादशाह से रहम की भीख मांगने पहुची , बादशाह हाथी पर सवार होकर निकल रहा था लोगो ने कहा की अगर वह उन्हें जजिया जैसे अमानवीय कर से मुक्त नहीं करेगा तो वे उसके रास्ते पर लेट जायेंगे .और आम जन ने ऐसा ही किया .. इसपर उस निष्ठुर सम्राट ने अपने महावत से कहा की हाथी उनके ऊपर से ही निकाल दे क्योकि जजिया नहीं हटेगा .. और परिणाम स्वरुप सैकड़ो लोग हाथी के नीचे आकर मारे गए ….

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कोई भी काल रहा हो इस देश में नेतृत्व जिनके भी हाथो में रहा वे जवाबदेह रहे और जनता के सामने आकर शाशन या जुल्म करते रहे …

लोकतंत्र की राजधानी में शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे एक लाख लोगो पर इतनाबड़I गैर-लोकतान्त्रिक ,कायराना और मध्यकालीन बर्बरता को पीछे छोड़ने वाला कुकृत्य हुआ ..सारा देश ,, सारे राजनीतिक दल आश्चर्य से सरकार के सामने प्रश्नवाचक मुद्रा में खड़े है .. और अभी तक 17 घंटे हो गए पर देश के तथाकथित संवैधानिक प्रमुख न जाने किस कुम्भकरणीय निद्रा में है . अभी तक उन्होंने राष्ट्र के सामने आने की जरुरत नहीं समझी शायद वे किसी विशेष निर्देश का इंतज़ार कर रहे है .. और देश को 2 -3 बेहद अतार्किक .चापलूस चारणों के हवाले कर रखा है .. उनपर राष्ट्र क्या विश्वाश करे ये समझ में नहीं आता,

मुझे संदेह नहीं की अगर लादेन का शव अमेरिका ले नहीं जाता और पाकिस्तान में कही उसकी अंतिम क्रिया होती तो और कोई जाता या नहीं पर दिग्विजय सिंह जरुर जाते ..और ऐसा व्यक्ति रामदेव ,गोविन्दाचार्य और अन्ना हजारे जैसे राष्ट्रीय रोल माडलों को ठग बता रहा है तो वह महामूर्ख या महा ठग ही कहा जायेगा ..

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अन्ना हजारे के समर्थन में भी अनशन पर बैठा , 10 मई को के.एन गोविन्दाचार्य जी के समर्थन में 24 घंटे के उपवास पर भी बैठा और 4 जून को रामदेव जी के भी समर्थन में उपवास पर बैठा .. क्योकि मेरे और हर जागरूक देशवासी के लिए अन्ना हजारे , गोविन्दाचार्य या रामदेव से ज्यादा महत्वपूर्ण है वह मुद्दा जिसके लिए वे लड़ रहे है … और जहा तक हम जानते है लोकशाही में धरना प्रदर्शन करना अपराध नहीं बल्कि लोकतंत्र का खाद – पानी कहा जाता है .. और दुनिया को सत्याग्रह सिखाने वाले गाँधी के देश में हुए इस शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर नादिरशाही आक्रमण अक्षम्य है.

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किसने किसे ठगा .कितना ठगा ये पुरे देश ने देखा .. जिस देश में सर्वोच्च पदों पर महिलाये आसीन हो..उसके शाशन में आधी रात को महिलाओं को उठाकर पीट पीट कर घसीटा जाये , संतो को नग्न करके अपमानित किया जाये .देश की राष्ट्रपति और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी के लिए इससे शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता . पूरा घटनाक्रम इस तरह हुआ मानो रामलीला मैदान में सत्याग्रह कर रहे रामदेव और सत्याग्रही नहीं बल्कि लादेन और उसका ट्रेनिंग कैम्प हो…

कहा पर है कांग्रेस की सम्राज्ञी और देश के सामने आम आदमी का मसीहा कहलाने वाले युवराज ??.क्या आधी रात को बच्चो , महिलाओं निर्दोष निहत्थे लोगो पर हो रही तालिबानी कार्यवाही की चीखे उनके कानो तक नहीं पहुची या फिर रामलीला मैदान में बैठे सत्याग्रही उनकी प्रजा नहीं थे ?

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विषय सिर्फ ये है की देश के लोकतंत्रक मूल्यों पर हुए इस आक्रमण से लोकतंत्र कराह रहा है और हमारा नीरो न जाने कहा चैन की बंसी बजा रहा है.???? क्या आपको पता है?

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