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आज के समय में अपनी सभ्यता संस्कृति , रीती- रिवाज की बात करना और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाना जोखिम ही तो है… लोग कहेंगे की पागल हो गया है…. सीधे मुद्दे पर आता हु…
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श्री कामेश्वर सिंह जी के घर एक व्यक्ति से हुई जो हाथ में केसरिया ..कुर्ता, धोती, और उसी रंग की साडी लिए हुए थे और चर्चा हो रही थी की अंग्रेजी मानसिकता का प्रतीक काला गाउन की जगह महा विद्यालय के समावर्तन (दीक्षांत) समारोह में छात्र -छात्राए ये ही पहनेंगे .. मुझसे उन्होंने विचार पूछे तो राष्ट्रवादी भावना का प्रतीक होने के कारण मैंने उनके विचार से यद्यपि सहमती दिखाई पर मेरे मन में संदेह था की छात्र और उनके माता पिता .. क्या इसे सहज स्वीकार करेंगे, इमानदारी से कहू तो मुझे थोड़ी हसी भी आई गाउन में ग्लैमरस दिखने वाले छात्र धोती और साडी में कैसे दिखेंगे.. मैंने कहा के ये तो एक अपवाद होगा… क्या ये सफल होगा?…उन्होंने कहा की “”मै अपवाद को जन्म देता हु.“”...काफी भारी भरकम बात थी …इसे कहने वाले थे महाराणाप्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा. प्रदीप राव जी ,, उन्होंने समारोह में आने का निमंत्रण भी दिया .बात आई गई हो गई .
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27 फरवरी को जिस दिन दीक्षांत समारोह था .मुझे उस आमंत्रण का स्मरण हुआ , अनिच्छा से मै वहा चला गया, इसका एक कारन ये था की कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ,असम और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महा निदेशक और बीएसऍफ़ के पूर्व निदेशक नक्सली और आतंकवादी मामलो के जानकार और चिन्तक पद्मश्री श्रीप्रकाश सिंह जी थे..तो उन्हें सुनने की उत्सुकता में चला गया ,,
कही से भी नहीं लगा की गाउन के ग्लैमर से निकलने का दुःख हो.. कुल 168 छात्र-छात्राओं को स्नातक की उपाधि दी गई .. उनमे 5 – 6 ने संबोधित भी किया
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हर विभाग से जुडी कक्षा में उस विभाग के प्राचीन भारतीय मनीषी के नाम का बोर्ड लगा था और तस्वीर भी.. अन्दर कमरों में श्लोक, ………. आप किसी भी कालेज में जाये.. और नचिकेता , कणाद, सुश्रुत के विषय में पूछे तो मेरा दावा है ..की आइन्स्टाइन, न्यूटन , हिप्पोक्रेटस की भीड़ में वे कही दबे हुए मिल जायेंगे .. पर मुझे बहुत हर्ष हुआ ये देख कर .. की आर्यभट्ट से लेकर सी. वी. रमण, और भगत सिंह से लेकर स्वामी विवेकानंद तक के नाम से कक्ष के नाम दिए गए है…
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कालेज की अन्य विशेषताए ही इस परिवर्तन का आधार थी… उन्हें निम्न बिन्दुओ में संक्षेप में रखता हु…. ——————————————————————————————–
यहाँ प्री यूनिवर्सिटी परीक्षाये आयोजित होती है और इनमे अधिक अंक प्राप्तकर्ताओ को सम्मानित भी किया जाता है.. .
प्रवेश के समय जो समिति गठित होती है उसमे वरिष्ट मेघावी छात्रो को शामिल किया जाता है,
एक सक्रिय शिक्षक – अभिभावक संघ और पुरातन छात्र परिषद् भी है ,
——विद्यालय का आरंभ वन्देमातरम के साथ होता है ,
सप्ताह में एक दिन छात्रों द्वारा स्वयं कक्षा अध्यापन होता है ,
प्रधानाचार्य और शिक्षक स्वयं छात्रो के साथ मिलकर प्रांगन की सफाई करते है ,.
इसके अतिरिक्त और भी कई विशेषताए है जो इस कालेज को अन्यो से अलग करती है. विद्यालय का सञ्चालन गोरक्षनाथ पीठ द्वारा होता है
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अपनी भाषा बोलने अपनी भूषा धारण करने ,और अपने वेश में अडिग रहने में कोई शर्म नहीं बल्कि ये तो गौरव का विषय है... मैकाले का गाउन उतारकर फेक देने की हिम्मत उन्होंने कर दी … जिसे आज भी पहनने में हम शर्म नहीं करते ,और तो और न्यायालयों में जज साहब भी बड़े गर्व से उस माई लार्ड के आसन पर गुलामी के चोले को पहने हुए इठलाते है...
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इस शुरुआत पर आप क्या कहते है….. ?
अपनी बात –— स्नातक, स्नातकोत्तर, और बी.एड तक की शिक्षा में मैंने आजतक इस चोले को नहीं धारण किया जिसे मेरे मित्रो ने बड़े शौक से पहन का फोटो खिचवाकर अपने घरो में टांग दिया है …..
“”एक सुखद तथ्य ये है की आज भी इस देश में ऐसे लोग है जो अपवाद को जन्म देने का हौसला रखते है.…””
———–वन्दे मातरम्
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