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सद्र-ए-आलम बोले.-” अपनी हद में रहो “

सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
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आज हम सभी के लिए सुकून का दिन है …सारा मंच प्रेममय हुआ है पुरे देश में तमाम भ्रष्टाचर महंगाई बेरोजगारी को भूल जब हम वैलेंटाइन डे के स्वागत के लिए जी जान लगा कर कंटेस्ट की तैयारियों में जुटे है …. इसी बीच एक खुशखबरी हैदराबाद से आई ..

जी हा  वही जिसका इंतज़ार हम सभी कई महीनो से कर रहे थे … की हमारे प्रधानमंत्री जी अपनामुह खोले और कुछ बोले… राष्ट्रमंडल खेलो में खूब खेल हुआ वे चुप रहे ,महाराष्ट्र में आदर्श का घोटाला हुआ वे कुछ नहीं बोले ,, टू जी स्पेक्ट्रम में मंत्री राजा जी ने रिकार्ड ही बना दिया पी एम् साहब मौन रहे ,,सी वि सी नियुक्ति का मामला हुआ .. वे चुप रहे..विदेशो में धन का मामला आया वे चुप ही रहे .,महंगाई आसमान पर चली गई वे चुप ही रहे … और भी कई ऐसे कारनामे सरकार में हुए मगर मनमोहन सिंह जी का मौन नहीं टूटा…

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बोले और क्या खूब बोले… … जी नहीं ज्यादा खुश न हो वे सरकार के काम काज पे नहीं बोले… वे तो न्यायपालिका पे ही उलटी बंदूक तान कर बैठ गए… और न्यायधिशो पर अपने मनसबदारो द्वारा फ़तेह किये गए लक्ष्यों पर नकारात्मक टिप्पड़ी करने से सख्त लहजे में मना करते हुए हद में रहने की धमकी दे डाली ..उन्होंने सोचा होगा की न्यायपालिका बेमतलब न्याय का काम छोड़ के उन सरकारी कामो का भांडा फोड़ देती है जिनपर जनता को बहलाने के लिए उनके वक्ता दिन रात मेहनत करते है … जब कुछ तर्क नहीं मिलता तो उसे मीडिया के सर डाल देते है ….. जनता भी मीडिया को गाली देकर शांत हो जाती है .. मामला ठंडा भी नहीं हो पाता की तबतक न्यायपालिका बीच में टांग अड़ा कर सारे गड़े मुर्दे उखाड़ देती है और न्यायपालिका जब बोलती है तो तुरन अखबारों के मुख्या पृष्ठ पर ये मुए मीडिया वाले छाप देते है ....और फिर मजबूरी में मंत्री लोगो को जेल भेजने का नाटक करना पड़ता है जिसमे सरकार का समय बर्बाद होता है ..और सबसे बढ़कर विपक्ष को भी मुद्दा मिल जाता है चिल्लाने का.. .

manmohan singh cartoon

अब जाहिर है की सरकार के खिलाफ तो वे बोलेंगे नहीं….. हमें तो ये ही सोच कर खुश होना चाहिए की वे बोले तो… अन्यथा उनका मौन हमें सर के बाल नोचने को मजबूर कर चूका था ………….

और इसका श्री न्यायपालिका को जाता है …

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