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विनोवा भावे ने मुझे संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता प्राप्त करवाने के लिए प्रयास करने की बात कही थी .. अटल बिहारी वाजपेयी और तेलगू भाषी नरसिम्हा राव ने जब संयुक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में संबोधित किया तब पुरे देश के साथ मैंने भी गौरवान्वित महसूस किया और कुछ लोगो ने ये विचार दिया की शायद संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनने पर मेरे दिन बहुरे…पर एकतरह से देखा जाये तो संयुक्त राष्ट्र संघ में मुझे ये स्थान स्वयमेव मिल जाना चाहिए था..
2800 भाषाए है. इनमे अंग्रेजी और चीनी के बाद तीसरे स्थान पर लगभग 50 करोण से ज्यादा लोगो द्वारा बोली जाने वाली हिंदी भाषा आती है ..जरा सोचिये स. रा. में 6 भाषाओ को मान्यता है इनमे २ ही कार्यकारी भाषाए है अंग्रेजी और फ्रेंच. इनमे फ्रेंच बोलने वालो की संख्या हिंदी बोलने वालो की संख्या की 1/3 ही है .. यही नहीं एशिया महादीप की भाषाओ में हिंदी एकमात्र भाषा है जो अपने देश से बहार बोली और समझी जाती है .बर्मा ,मलाया ,लंका,मरिश्शस ,फिजी, त्रिनिदाद,व द.पू.अफ्रीका में हिंदी भाषी काफी संख्या में है .
1975 में नागपुर में प्रथम विश्व हिंदी सम्मलेन में रुसी विद्वान प्रो.येगेनी चैलिशेव ने कहा था .. “”समसामयिक विश्व में बढती सकारात्मक भूमिका अदा कर रहे महान एशियाई देश की एक सर्वाधिक प्रचलित और विकसित भाषा के रूप में हिंदी को विश्वभाषा बनना चाहिए “” पिछले 30 -32 वर्षो से लगातार हिंदी सम्मेलनों में ये प्रस्ताव पारित हो रहा है ..क्योकि अगर 22 देशो की 50 करोण की जनसँख्या द्वारा बोली जाने वाली हिंदी स.रा. की भाषा बन जाती है तो विश्व का एक बड़ा हिस्सा स.रा. की गतिविधियों से अवगत होगा और अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकेगा ..इससे वैश्विक सहयोग बढेगा .
कुछ लोगो का बेतुका तर्क ये है की अगर हिंदी को स.रा. की भाषा बनाया जायेगा तो दक्षिण भारत में राजनितिक प्रतिक्रिया होगी.. ये बात समझनी होगी की जैसे गाँधी जी को राष्ट्रपिता कहने से सुभाष चन्द्र बोस, तिलक, भगत सिंह इत्यादि की प्रतिष्ठा कम नहीं होती है कमल के राष्ट्रीय पुष्प बनने से गुलाब की सुगंध मंद नहीं होती वैसे ही मेरे राष्ट्र भाषा बनने से अन्य भाषाओ का निरादर नहीं होता है ..
आचार्य क्षितिज मोहन सेन ने कहा था..” आदर्श और साधना की एकता मनुष्य को एकता अवश्य देती है पर भाषा की भिन्नता उस एकता को जाग्रत नहीं होने देती “”..आपको ये बात स्वीकार करनी चाहिए की मेरे साथ राष्ट्र की एकता ,अखंडता और भावना जुडी हुई है .बस सरकार को चाहिए की पूरी इच्छाशक्ति के साथ हिंदी का ध्वज थाम कर आगे बढे. जुलाई 1928 में यंग इंडिया में गाँधी जी ने लिखा था–“यदि मै तानाशाह होता तो आज ही विदेशी भाषा में शिक्षा देना बंद कर देता .शिक्षको को स्वदेशी भाषा अपनाने पर मजबूर कर देता ,जो आनाकानी करते उन्हें बर्खास्त कर देता ,मै पाठ्यपुस्तको के तैयार होने का इंतजार नहीं करता”
मुझे केवल हिंदी दिवस की शोभा न बनाये …
मेरे सफ़र की अबतक की कहानी आपने पढ़ी है आप ये जान चुके है की .. आज मै क्षेत्रीय सीमाओं के बंधन तोड़ कर सभी दिशाओ में गतिमान हु . देश की केंद्रीय शक्ति जैसे जैसे बढ़ेगी मेरी ताकत भी बढ़ेगी, मेरे नष्ट होने का तो प्रश्न ही नहीं है क्योकि राजनीती से बढ़कर मुझे जनता का बल प्राप्त है .आज भी जब संकट का समय आता है और निर्णायक दृष्टिकोण अपनाने के लिए जब भी आह्वान की जरुरत पड़ती है जब भी आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की बात होती है तो मै ही देश की एकता और अखंडता के प्रतीक के रूप में खड़ी होती हु .
अहिन्दी भाषियों को कठिनाई नहीं होनी चाहिए उन्हें देश भावनात्मक एकता के प्रतीक के रूप में मुझे अपनाना चाहिए.यदि ये उनका त्याग है तो ये त्याग उन्हें करना चाहिए …अंग्रेजी बोलने से पहले ये एक बार जरुर सोचे की आप एक विदेशी भाषा बोल रहे है .हिंदी के समर्थन का अर्थ किसी अन्य भाषा का विरोध नहीं है ..बल्कि मात्र हिंदी को राष्ट्रवादी भावना के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठा देना है. राजनीती और वोट का मुद्दा न बना कर राष्ट्र की एकता और अस्मिता का प्रश्न बनाया जाना चाहिए .तभी भारत शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा और एक भाषा में जब भारत विश्व मंच पर हिंदी का प्रश्न उठाएगा तो उसकी उपेक्षा कर पाना किसी के लिए भी असंभव होगा ….
हिंदी के लिए निखिल की कुछ पंक्तिया…………….
हिंदी को सम्मान मिले राष्ट्र शक्ति बने ,
भावो और विचारो की,युग-युग के संस्कारो की ,
नित विकास पथ पर चलते भारत के कर्णधारो की,
राष्ट्र चेतना और एकता की अभिव्यक्ति बने …….
हिंदी को सम्मान मिले राष्ट्र शक्ति बने ,
शेष धुंध भी छट जाये ,स्वतंत्र राष्ट्र एक-स्वर गए ,
ज्ञान युगों का गुंजित हो, भारत विश्वगुरु कहलाये.
साम्राज्यवाद की जंजीरों से अंतिम मुक्ति बने .,,..
हिंदी को सम्मान मिले राष्ट्र शक्ति बने ,
मै तमाम अवरोधों के बाद भी निरंतर उसी उर्जा से गतिमान हु …..और ये सफ़र जारी है ….
आपकी अपनी “हिंदी”
जय हिंद
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