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इतनी गर्मी में स्कूल ?पढ़ाई है या यातना ?

सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
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ये शिक्षा है या क्रूर यातना ?..कंधे पर ५-६ किलो का वजन लिए लगभग 45 डिग्री तापमान में झुलसते ये मासूम बच्चे किस गलती की सजा भुगत रहे है..आखिर .??

हम पढ़ाई करते थे तो मार्च- अप्रैल में जब हमारी परीक्षाये ख़त्म हो जाती थी तबसे लेकर जुलाई तक हमारे लिए स्वर्गिक आनंद के दिन थे (कक्षा १ से १० तक की बात कर रहा हु ) परीक्षा ख़त्म होते ही अगले दिन नानी- दादी की गोद में बैठ कर कहानिया सुनने में दिन बीतते थे .जम कर खेल ,मस्ती ,पेंटिंग ,और कुछ -कुछ पढाई भी .. यही हमारा जीवन था…. जिसे बचपन कहते है .हम इस तरह जलते नहीं थे . हमारे शिक्षक भी बेहद योग्य अनुशासनप्रिय थे और जहा तक मेरी जानकारी है मुझे छोड़कर मेरे सभी मित्र योग्य और अच्छा जीवन बिता रहे है …कहने का मतलब हमने भी पढ़ाई की थी….

पर तुलना करता हु तो आज के इन बच्चो को इतने बन्धनों में पाता हु की मेरा ही दम घुटने लगता है... मैंने सहज ही वह प्रश्न एक अध्यापिका के सामने रखे ……….

# आखिर क्या वजह है की अप्रैल में जब गर्मी की छुट्टिया हो जाती है तो इस भीषण गर्मी में आपलोग १ महीने के लिए 15 अप्रैल से 15 मई तक स्कूल खोलकर बच्चो को कौन सा अतिरिक्त ज्ञान दे देते है ?

# आप ये भी नहीं सोचते की इन मासूमो पर इतनी कड़ी धुप और गर्मी का क्या शारीरिक मानसिक प्रभाव पड़ेगा?? (बच्चो ने मुझे बताया था की २ दिन पहले ३ लडकिया बेहोश हो गई थी, इसके अलावा स्कूलों में बच्चो के गर्मी से बेहोश होने की खबरे छापती ही रहती है ).

# गर्मी की छुट्टियों में भी इतना होमवर्क क्यों दे देते है की बच्चे कही घुमने जाने के लिए भी तैयार नहीं होते उसी में उलझे रहते है ?और नियमित होमवर्क को एक बोझ की तरह समझते है .??

उनका जवाब था की बच्चो को होम वर्क दे दिया जाता है ताकि वे छुट्टियों में समय को बर्बाद न करे और पढाई की आदत न छूटे ?और बाकी प्रश्नों का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला . ये तर्क मुझे उचित नहीं लगा पर वाद विवाद करना भी सही नहीं लगा शिक्षिका से … लौटते समय बच्चो ने बताया की स्कूल का जनरेटर भी ख़राब है और लाइट न रहने पर हमलोगों को गर्मी में ही पढना पड़ता है …

कई सवाल मन में उठे .. उन्हें आपसबके सामने रख रहा हु …

# आखिर कक्षा 1 से 10 तक के बच्चो को जुलाई में ही नए सत्र के आरंभ में कक्षाए शुरू करने में क्या समस्या है ..इससे फायदा ये होता है की एक कक्षा पास होने का आनंद बच्चे गर्मी की छुट्टियों में लेते है और नए सत्र में एक अच्छा अंतराल होने के कारन उर्जा से भरे हुए प्रवेश करते है …

# अप्रैल और मई की झुलसा देने वाली गर्मी इन मासूमो के तन और मन दोनों को नुक्सान पहुचती है .. कई बच्चे सर दर्द और चक्कर आने उलटी इत्यादि की शिकायते करते है इससे उनके शारीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है ये अमानवीय है .. ये धुप हमसे नहीं सही जाती बचे कैसे सहेंगे ??

# गर्मी की छुट्टिया बच्चो को खूब सारा होम वर्क न देकर कुछ रचनात्मक कार्यो की तरफ जिनमे उनकी रूचि हो ज्यादा बेहतर बनाई जा सकती है . फिर बच्चो को इतना ज्यादा होम वर्क क्यों ?? क्या हम उनका बचपन छीन कर उन्हें 10 घंटे रोज काम करने वाली मशीन बना देना चाहते है ??

कुछ सवाल आप भी उठाये ,,, और हा अगर कोई जवाब दे तो बेहतर होगा क्योकि ये 15 अप्रैल से 15 मई तक की पढ़ाई मेरी समझ में नहीं आती ….क्या आपको समझ में आती है ??

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