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तुम्हारी रंजिशे हमारा ऐतबार,अमन का करवा कब तलक मेरे यार?

सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
सर झुकाकर आसमा को देखिये ...........
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बात मुंबई हमलो के बाद की है मै एक पाकिस्तानी दोस्त से चैटिंग कर

रहा था .मैंने पूछा की कसाब बहुत युवा है इतनी कम उम्र में इतना बड़ा

दुस्साहस उसने कैसे कर दिया…तो मेरे पाकिस्तानी मित्र ने (जो खुद भी

“हो सकता है

उसके साथ कुछ ज्यादती हुई हो” .. इसके बाद एक लड़की जोकि

पाकिस्तान में ही पढाई कर रही थी उसने अचानक मुझसे पूछ लिया ..कि

मैंने सुना है की हिन्दू बहुत शराब पीते है और मुसलमानों पे अत्याचार

करते है ?”

ये सवाल उन्होंने बेहद सहजता से पूछे और यकीं मानिये इसमें उनका

कोई दोष नहीं ..पर एक बात गौर करने वाली है की वे तालिबानी नहीं ,isi

वाले नहीं और न ही वो किसी आतंकवादी गुट से थे , वे थे ,पकिस्तान के

आम नागरिक जिनके दिलो में भारत के प्रति जहर भरा गया है वहा की

मीडिया और राजनीती द्वारा , पाकिस्तान का जन्म ही हिन्दुस्तान विरोध

वहा की राजनीती भारत विरोध और कश्मीर की आग

को भड़काकर चलती है भारत विरोध वह धुरी है जिसके चारो ओरे

पाकिस्तानी राजनीती अबतक चली है और इसके प्रमाण तो हम १९४७ से

ही देखते आ रहे है .

ये सही है की सभी पाकिस्तानी भारत विरोधी नहीं है

और न ही मै  पकिस्तान का विरोधी हु . पकिस्तान अमेरिका पर आश्रित

है इसलिए नहीं कि उसे भारत से खतरा है बल्कि इसलिए , कि उसे भारत

से चिढ है , वो भूखो मर जायेगा पर अमेरिकी सहायता के धन से हथियार

ही खरीदेगा. ये उसकी प्रवृत्ति बन चुकी है . जिना से लेकर जरदारी तक

सभी पाकिस्तानी हुक्मरानों ने भारत के लिए कांटे ही बिछाए है …तो

अपने पैरो को जख्मी कर के बार बार उस पार क्यों

जाना ? एक बार उन्हें भी आने दो ,पहल करने दो. दोस्ती कि . मुझे नहीं

लगता अटल जी ने जैसा प्रयास संबंधो को सुधारने में किया वैसा किसी

और ने किया पर बदले में धोखा ही mila, भारत के लिए पकिस्तान केवल

छल ही करता रहा है , सम्बन्ध सुधरने चाहिए मगर एकतरफा प्रयास

कबतक ? इससे अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर आप हसी के पात्र बन जायेंगे.

हमारे देश में विद्वानों का एक ऐसा वर्ग है , जो अपनी

विद्वता दिखाने के लिए बार बार पकिस्तान से सम्बन्ध सुधारने के लिए

आत

कि आखिर अबतक भारत ने जो प्रयास किये है उनपे वे निगाह

नहीं डालते? मुंबई हमलो के बाद जो भारत लगातार पकिस्तान

को पहले कार्यवाही फिर बात चित करने की बात सुनाता रहता था ,उसने

खुद ही बात चित के लिए पकिस्तान के सामने घुटने टेक दिए .इसपे

अंतर्राष्ट्रीय

दबाव के आगे झुकना ही पड़ा और वार्ता के लिए पहल करनी

ही पड़ी ” इसपे तो उन्हें खुश होना चाहिए अब क्या चाहते हो भैया क्या

पाकिस्तान के पैर पकड़ के कहना पड़ेगा कि आतंकवादी मत भेजो, या

मुंबई हमलो पे कहा जाये कि जो हो गया सो हो गया हम फिर दोस्त बन

जाते है .

इस तरह से हम कैसी महा शक्ति बनने का सपना देख रहे है . इसका

मतलब युद्ध नहीं है..पर इतना रुतबा होना चाहिए कि आप अपनी तरफ

से शर्ते रख सके . अमेरिका के दबाव से जितना हम डरते है उतना तो

पकिस्तान भी नहीं डरता होगा . हमारा रवाया अगर ऐसा ही रहा तो

पकिस्तान हमारे लिए हमेशा सर दर्द बना रहेगा और हम इसकी कीमत

चुकाते रहेंगे , हमारे कुछ सेलेब्रिटी जो पकिस्तान का दौरा कर के आते है

वे वह के स्वागत से इतने अभिभूत और भावुक हो जाते है की उन्हें

पकिस्तान की सारी हरकते भूल जाती है..

यहाँ सवाल मात्र पडोसी का नहीं है देश की सुरक्षा ,एकता

अखंडता का है, …क्योकि भावना के आधार पर एकतरफा

दोस्ती की कोशिशे अन्तराष्ट्रीय मामलो में केवल नुक्सान और

खतरे ही बढ़ाएंगी ,हम जिन जिहादी तत्वों की बात कर रहे है उन्हें रोटी

वही ISI देती है, जिसका नियंत्रण पाकिस्तानी सेना संभालती है और

पाकिस्तान में सरकारे किसी की रहे पर नियंत्रण सेना का ही होता है

अमेरिका के हथियार उद्योग को बढ़ने के लिए भारत कोई नफरत का

खेल नहीं खेल रहा .ये खेल सिर्फ पाकिस्तान खेल रहा है . भारत से किसी

को भी कोई खतरा नहीं हो सकता है ये आपको समझ लेना चाहिए…

भारत ने

किसी पर आक्रमण नहीं किया है बल्कि सिर्फ थोपे गए युद्धों को

झेला है ,तो उसके लिए अपने सैन्य क्षमताओ का विकास समय की मांग

है .अमन की आशा एक अच्छा कांसेप्ट है , पर आशा के साथ प्रयास भी

एक तरफ से सर झुके और दुसरे तरफ से

तलवार चले तो कब तक अमन रहेगा? ये शब्द भी बड़ा सुन्दर है लव

पकिस्तान , ये तो सही है की प्यार अँधा होता है इसमें अछे बुरे का ख्याल

नहीं होता. इसका व्यावहारिकता और वास्तविकता से सम्बन्ध नहीं

होता है और इंसान खयालो में सेतु बनाने लगता है , पर मेरी समझ में ये

नहीं आता की हम केवल भावुक होकर रोने क्यों लग जाते है कभी गुस्सा

क्यों नहीं दिखाते .हमारे स्वप्न्द्रष्टाओ के कितने ऐसे सेतु पकिस्तान तोड़

चुका है . जिस जिहाद से पकिस्तान आज भयाक्रांत है उसे जन्म उसी ने

दिया है ये बिलकुल भस्मासुर वाला हाल है ..क्योकि आज खुद पकिस्तान

अस्थिर पकिस्तान भारत ने कभी नहीं

चाहा. मगर पकिस्तान की कोशिशे हमेशा भारत को अस्थिर करने की ही रही है .

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