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जरा सोचिये आपको सुबह कही जाना हो और रात सारी ट्रेन में काटनी हो ..आपकी रात आराम से कटे इसलिए आपने स्लीपर ,एसी में रिसेर्वेशन करा लिया है , जब आप आराम से सोने की तयारी में हो तभी आपके अगल बगल की बर्थ से खर्राटे की आवाजे शुरू हो जाये और धीरे धीरे ये आवाजे जानलेवा होती जाये ..तो आप क्या करेंगे ?
ऐसी ही अनुभवों से मै अक्सर गुजरता हु पिछला अनुभव तो बेहद कष्टदाई रहा इलाहाबाद की यात्रा के दौरान स्लीपर क्लास में मेरे तीनो तरफ तीन महारथी रात भर इतने व्यस्त थे खर्राटे लेने में की बाकी के सभी यात्रियों की रात बैठे बैठे कटी .मै तो ५ बजे तक जगता रहा
सारी रात या तो हमं लोग हस्ते रहे उनके खर्राटों पे या फिर सर पकड़ कर कोसते रहे रेलवे को और अपनी किस्मत को ..अंत में हमने सोचा की ट्रेनों में ये व्यवस्था होनी चाहिए की रिसेर्वेशन करते समय यात्रियों से ये जानकारी ली जाये की क्या वे सोते समय खर्राटे लेते है ?
इसे मजाक न समझे ये गंभीर मुद्दा है २ आदमी सारी रात २०-२५ लोगो की नींद में खलल डाल कर खुद आराम से सोये ये अन्याय है. इस समस्या का कोई समाधान होना चाहिए …..अन्यथा ट्रेनों में झगडे होने का भी डर है इस वजह से .
या फिर अगर कोई दवा हो तो यात्रियों से कहा जाये की वे इसे लेकर ही ट्रेन में आये. या फिर ऐसे यात्रियों को अलग बोगी दी जाये और तेज़ खर्राटे लेने वालो को जुरमाना किया जाये .
मेरी बात शायद किसी को अच्छी न लगे पर यकीं मानिये अगर आपको शांति से सोने के आदत है तो इस समस्या का समाधान जरुरी है …….
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