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अशिक्षा हमारे देश की एक ऐसी बड़ी समस्या है जिसका परिणाम हम भोगते
चले आ रहे है , और जाने कबतक भोगेंगे , अशिक्षा और संकुचित दृष्टिकोण हमारे
देश की जनता की एक ऐसी समस्या बन गई है जिसका प्रयोग हमारे देश के
कुछ पढ़े लिखे शातिर लोग करते है जो जनता को बेवकूफ , बनाकर भड़काकर
बेहुदे किस्म के विचारो की तरफ मोड़ देते है और अपने लिए जमीन बना लेते
है ,
राजनीती की भावना से ऐसे टुच्चे नेतावो को कोई मतलब नहीं होता है वे बस
जनता की भावना को जाती , धर्म , क्षेत्र के नाम पर भड़काकर अराज़कता ही फ़ैलाने
का काम कर सकते है , ऐसे ही एक सुरमा है राज ठाकरे . वैसे तो इनके बारे
में बात करना ही अपने समय को व्यर्थ गवाना है , पर अब बात करनी होगी
और निर्णायक बात करनी होगी , क्योकि देश के लिए ऐसे लोग जितने शर्मनाक है,
जनता द्वारा ऐसे लोगो को लोकतंत्र में जमीन देना कही ज्यादा खतरनाक है .
जनता को बहुत दोष नहीं दे सकते क्योकि उसकी दृष्टि कभी व्यापक नहीं होती ,
पर देश की अगुआ राजनीतिक दलों को ये निर्णय करना ही होगा की देश
संविधान के हिसाब से चलेगा या राजठाकरे जैसे मौकापरस्त बरसाती मेढको की
आवाज से , ये साहब महाराष्ट्र के बहुत शुभचिंतक है इन्होने एक सेना बना ली
है देश के बाकि लोगो से महाराष्ट्र की सुरक्षा के लिए इनके वीर योद्धा ( ये किस
तरह के योद्धा है आप समझ ही गए होंगे ) उतर भारतीय सब्जी वालो ,ठेले वालो
टैक्सी वालो , विद्यार्थियों ,मजदूरों को मारते पिटते है . एक निहत्थे मजदूर
पर ४-५ गुंडे टाइप के चमचे मिलकर शौर्य प्रदर्शन करते है और अपने लोकल
नेता का यश बढ़ाते है .
शर्मनाक रूप से उन्हें महाराष्ट्र की जनता का भी समर्थ मिला है वोट के रूप में
जो जनता की भावनाओ को भड़काकर ही मिला है ..
# राज ठाकरे को सारा खतरा उत्तर भारतीयों से है जो किसी भी अंजान से
मिलने पर भैया का बाबु का संबोधन करते है , जो मेहनतकश है , अपने राज्यों
में जीविका नहीं मिली तो दूसरी जगह रोजी रोती की तलाश में गए है .
# जब मुंबई धमाको में सैकड़ो लोग मरे गए थे और महाराष्ट्र के साथ सारा देश
सदमे में था उस समय राज और उनके सुरमा और उनकी महाराष्ट्र नवनिर्माण
सेना कहा दुबकी हुई थी किसी को नहीं पता ,
# महाराष्ट्र कुछ शांत हुआ तो ठाकरे को फिर मराठी लोगो की चिंता होने लगी
और नया राग शुरू कर दिया taxi परमिट को लेकर .
ऐसे विघटनकारी लोगो को राजनीती से दूर रखने के लिए कड़े कदम नहीं उठाये
गए तो देश की एकता खतरे में पड़ जाएगी .
# अवसरवादी और सत्ता की भूखी पार्टियों से कोई उम्मीद नहीं है हा ये तभी
संभव है जब ऐसे मुद्दों पर जनता जगे , न्यायपालिका कठोर कदम उठाये
और ऐसे बरसाती मेढको को उसी कुवे में वापस फेक दे ………………….
अन्यथा पुरे देश में ऐसे मौकापरस्त गली -मुहल्लों में घूम रहे है अपनी जाती ,
धर्म , क्षेत्र और भाषा का झंडा लेकर .
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