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कल मैंने एक बच्चे से पुछा हमारा राष्ट्रीय खेल क्या है? तो उसने बहुत तेजी से जवाब दिया ..क्रिकेट,मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ,और आज जो भी तमाशा हाकी को लेकर हो रहा है,उसे देखकर मन में आया की क्यों न हम अपना राष्ट्रीय खेल ही बादल दे कम से तो कम ये शर्मिंदगी तो नहीं होगी,सुनने में ये बात अटपटी लगेगी पर कुछ दिनों से जो घमासान मचा है उसे देखकर तो मन में यही आता है की हमारी आने वाली नस्ले कही हमारा राष्ट्रीय खेल न भूल जाये,
इस सारी घटना से एक बात तो समझ में आ गई है, और वो ये है की देश में राजनीती से बढ़कर कुछ भी नहीं है ,और राजनीती को आज का बाजार चला रहा है ,बाजार क्रिकेट का है तो जोर क्रिकेट पर ही है …मन में आया के ये सवाल हाकी संघ के अधिकारियो से पुछु की क्या आप बिना वेतन के देश के नाम पर हाकी के लिए थोडा वक़्त निकाल सकते है, या क्या हमारे संसद विधायक जी बिना किसी आर्थिक लाभ के देश के लिए संसद और विधान सभाओ में जा सकते है , …(जवाब आप सभी जानते होंगे )…….. तो आखिर खिलाडियों को सारी देश भक्ति क्यों सिखाई जा रही है …
क्रिकेट को राजयोग और हाकी को जोग,
क्रिकेट में अरबो के वारे न्यारे और हाकी को देश भक्ति के नारे,
अरे वाह रे…….
एक सवाल आपसे –
वो टीम जिसके खिलाडी अपने वेतन और भत्ते के लिए संघर्ष कर रहे हो क्या आप पदक जितने की उम्मीद कर सकते है….
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